नई टिहरी। जनपद के मत्स्य विभाग के तत्वाधान में मत्स्य पालकों के लिए आयोजित मछली के स्वच्छ हस्तन, प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन की तीन दिवसीय कार्यशाला का विधिवत समापन हुआ। इस मौके पर सहायक निदेशक मत्स्य गरिमा मिश्रा ने कहा कि प्रशिक्षण मछली उत्पादन से आय बढ़ाने में अहम है। इसे प्रशिक्षु पूरी तत्परता से अपनी कार्यप्रणाली में शामिल करें। प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण के प्रमाण-पत्र भी मौके पर दिए गये। मत्स्य पालकों की आय में वृद्धि व मछली पालन के साथ उसके प्रसंस्करण व मूल्य संवर्धन जिला मुख्यालय के बहुउद्देशीय हाल में मत्स्य विभाग ने तीन दिवसीय कार्यशाल का आयोजन किया। जिसमें काश्तकारों व मत्स्य पालकों को विशेष गुर सिखाये गये।
इस प्रशिक्षण में मछली की ड्रेसिंग, सफाई व पैकेजिंग सिखाई गई। मछली के फिलेट, करी कट व स्टीक्स बनाने की विधि का प्रशिक्षण दिया गया। मूल्य वर्धक उत्पादों में जैसे मछली का अचार, चटनी, फिश बाल, फिश कटलेट व फिश फिगर, मछली के समोसे व मोमो बनाए जाने की विधि सिखाई गई। कार्यशाला में प्रशिक्षणार्थियों को किट का वितरण भी किया गया। किट में मछली की सफाई को यंत्र, एप्रेन, कटिंग बोर्ड आदि शामिल थे। प्रशिक्षण कार्यशाला में केन्द्रीय मत्स्यिकी प्रौद्यौगिकी संस्थान कोचिन केरल से प्रधान वैज्ञानिक बिन्दु जगानाथ, वरिष्ठ वैज्ञानिक पार्वती उनीकृष्णन तथा वरिष्ठ तकनीकी सहायक नौबी वर्गीस ने मत्स्य पालकों से से कार्यशाला में सीधी बात कर उनकी समस्याओं का निस्तारण करते हुए मछली पालन व उसकी मार्केटिंग के गुरों को सिखाया।
मौके पर सहायक निदेशक मत्स्य गरिमा मिश्रा, डीडीओ सुनील कुमार, मत्स्य निरीक्षक आमोद नौटियाल, विजय लक्ष्मी आदि मौजूद रहे।