नई दिल्ली ,03 अक्टूबर (आरएनएस)। सुप्रीम कोर्ट ने बर्खास्त आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की एक ट्रायल जज के खिलाफ तीन याचिकाएं खारिज करते हुए उन पर 3 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है। न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की पीठ ने कहा, जुर्माने की रकम गुजरात उच्च न्यायालय अधिवक्ता कल्याण कोष में जमा की जाएगी।
याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति नाथ ने पूछा, आप कितनी बार सुप्रीम कोर्ट गए हैं? कम से कम एक दर्जन बार? जस्टिस बीआर. गवई (अब सेवानिवृत्त) ने पिछली बार केवल 10,000 रुपये का जुर्माना लगाया था। न्यायमूर्ति नाथ ने भट्ट को फरवरी के पिछले सुप्रीम कोर्ट के जुर्माने के बारे में याद दिलाया, जिसने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ उनकी चुनौती को खारिज कर दिया था।
भट्ट ने वर्तमान ट्रायल न्यायाधीश के खिलाफ पक्षपात और अनुचितता का आरोप लगाते हुए मुकदमे को गुजरात के बनासकांठा में वरिष्ठतम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश की अदालत में स्थानांतरित करने के लिए याचिका दायर की है। स्थानांतरण के साथ भट्ट ने ट्रायल कोर्ट की कार्यवाही की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग और मुकदमे में अतिरिक्त गवाहों की भी मांग की।
भट्ट का प्रतिनिधित्व करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने पीठ से लगाए गए जुर्माने की लागत को हटाने या कम करने का अनुरोध किया। इस पर न्यायमूर्ति नाथ ने जवाब दिया, वह बार-बार सर्वश्रेष्ठ वकीलों के साथ न्यायालयों का रुख कर रहे हैं। बेशक, उनके पास वित्त की कोई कमी नहीं है।
भट्ट पर संपत्ति विवाद के कारण एक वकील को परेशान करने के लिए झूठा मामला दर्ज कराने का आरोप है। मामला 1996 का है, जब बनासकांठा पुलिस ने राजस्थान के पालनपुर में एक वकील के होटल के कमरे से ड्रग्स जब्त किया था। उस समय भट्ट बनासकांठा में पुलिस अधीक्षक के रूप में कार्यरत थे और उन्हें सितंबर 2018 में मामले में गिरफ्तार किया गया था।
1990 के हिरासत में मौत के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद भट्ट भी जुलाई 2019 से आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं।