नैनीताल। उत्तराखंड हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ ने प्राइमरी व माध्यमिक विद्यालयों में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर तैनात करीब साढ़े तीन हजार शिक्षकों की नियुक्ति के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की।
खंडपीठ राज्य सरकार से पूछा है कि अभी तक कितने शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाण पत्रों की जांच की गई है। कितने फर्जी शिक्षक अभी तक सस्पेंड किए हैं। जिस पर राज्य सरकार की तरफ से बताया गया कि 33 हजार शिक्षकों में से करीब 12 हजार शिक्षकों के शैक्षणिक दस्तावेजों की जांच हो चुकी है। इसमें से 69 शिक्षकों के दस्तावेज फर्जी मिले। इनमें से 57 शिक्षकों को सस्पेंड कर दिया गया है। कोर्ट ने शिक्षकों के फर्जी दस्तावेज मिलने को गंभीर मामला मानते हुए बचे हुए शिक्षकों के दस्तावेजों की जांच की प्रक्रिया को जल्द पूरा करने के निर्देश दिए। अगली सुनवाई के लिए 23 नवंबर की तिथि नियत की है।
मामले के अनुसार स्टूडेंट वेलफेयर सोसायटी हल्द्वानी ने जनहित याचिका दायर की थी। जिसमें कहा गया कि राज्य के प्राइमरी व उच्च माध्यमिक विद्यालयों में करीब साढ़े तीन हजार अध्यापक जाली दस्तावेजों के आधार पर फर्जी तरीके से नियुक्त किए गए हैं। जिनमें से कुछ अध्यापकों की एसआईटी जांच की गई। जिनमें खचेड़ू सिंह, ऋषिपाल, जयपाल के नाम सामने आए परन्तु विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत के कारण इनको क्लीन चिट दी गई और ये अभी भी कार्यरत हैं। संस्था ने इस प्रकरण की एसआईटी से जांच करने को कहा है।
पूर्व में राज्य सरकार ने अपने शपथपत्र पेश कर कहा था कि इस मामले की एसआईटी जांच चल रही है।