देहरादून। उत्तराखंड विधानसभा में बुधवार को एक विधेयक पेश किया गया जिसमें अलग राज्य के लिए आंदोलन के दौरान जेल जाने वाले या घायल होने वाले लोगों को सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी आरक्षण देने का प्रस्ताव किया गया है। मालूम हो कि लंबे आंदोलन के बाद साल 2000 में उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड का गठन हुआ था।
समाचार एजेंसी आरएनएस की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तराखंड आरक्षण विधेयक, 2023 उत्तराखंड आंदोलन के चिन्हित आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों के लिए सरकारी नौकरियों में आयु सीमा और चयन प्रक्रिया में एक बार के लिए छूट देगा। इसमें श्रेणी सी और डी के पदों पर भर्ती शामिल है। दोनों भर्तियां उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के दायरे से बाहर हैं।
इस कानून में कहा गया है कि यह केवल उन आंदोलनकारियों पर लागू होगा जिन्हें आंदोलन के दौरान चोटें लगी थीं या कम से कम सात दिनों के लिए जेल गए थे। हालांकि आरक्षण पाने के लिए आंदोलनकारियों या उनके आश्रितों दस्तावेज प्रस्तुत करना होगा। प्रावधान है कि जो आंदोलनकारी 50 वर्ष से अधिक उम्र या किसी शारीरिक या मानसिक अक्षमता के कारण नौकरी करने के इच्छुक नहीं हैं, उनके परिवार के किसी एक आश्रित को इसका लाभ मिलेगा।
यह कानून पूरे उत्तराखंड में लागू होगा। राज्य सरकार की सेवा के तहत सीधी भर्ती के लिए इसकी मदद ली जा सकेगी। विधानसभा से पारित हो जाने के बाद पर यह विधेयक 11 अगस्त 2004 से पूर्वव्यापी प्रभाव के तहत लागू होगा।