अल्मोड़ा। सरकारी अस्पतालों में सुविधाओं के सरकार कितने ही दावे कर ले लेकिन जमीनी स्तर पर वे दावे खोखले साबित हो रहे हैं। पिछले हफ्ते जिला मुख्यालय के समीप दुर्घटनाग्रस्त कार के घायलों को हायर सेंटर ले जाने को पहले एम्बुलेंस नहीं मिल पाई और और जब घंटों बाद पहुंची भी तो उसको चालू करने के लिए धक्का लगाना पड़ा।
ताज़ा मामला जिला अस्पताल का है जहाँ बाहर की दवाइयों का गोरखधंधा चल रहा है। शासन के सख्त निर्देश के बावजूद भी जिला अस्पताल के कुछ डॉक्टर मरीजों को अस्पताल की पर्ची के साथ छोटी पर्ची में बाहर के मेडिकल स्टोर की दवाईयां लिख रहे हैं। पहले बाहर की दवाईयां अस्पताल की पर्ची में लिखी जाती थी लेकिन मीडिया में खबरें आने के बाद जिला अस्पताल की पर्ची पर मुहर लग रही है ‘सरकारी पर्चे पर बाहर की दवाइयां लिखना और खरीदना प्रतिबंधित है’ अब डॉक्टरों ने इसका तोड़ निकाला है कि वह छोटी पर्ची पर बाहर की दवाई लिख रहे हैं। और तो डॉक्टर कोड में दवाएं लिख रहे हैं जो जिला अस्पताल के दवा काउंटर वालों को भी समझ नहीं आ रही है, और तो और मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को भी समझ नहीं आ रही हैं। बाहर की दवाओं से दूर गाँव से आने वाले मरीजों पर आर्थिक बोझ पड़ रहा है। कई बार मरीजों की जेब में इतने पैसे भी नहीं होते कि वह इन दवाओं को खरीद सकें। जिला अस्पताल में बाहर की दवाओं का यह खेल काफी समय से चल रहा है। पर्ची पर लिखी जाने वाली दवाओं में से कई दवाएं ब्रांडेड भी नहीं हैं जिनको डॉक्टर मरीजों को लिख रहे हैं। जिला अस्पताल में दवा कंपनियों के एमआर ओपीडी टाइम में भी चिकित्सकों के पास देखे जा रहे हैं, जिससे मरीजों को परेशानी हो रही है। जबकि अस्पताल प्रशासन द्वारा दवा कंपनियों के प्रतिनिधियों को मिलने के लिए शनिवार का समय दिया गया है।
मामले पर जिला अस्पताल के सीएमएस एच सी गड़कोटी ने बताया कि चिकित्सकों को पहले ही निर्देश दिया गया है कि डॉक्टर बाहर की दवाई नहीं लिखेंगे यदि कोई ऐसा करता पाया जाएगा तो कार्यवाही की जाएगी।