इंसान के शरीर में आंखें देखने के लिए बनी हैं औऱ कान सुनने के लिए. अभी तक कानों की किसी भी समस्या को सुलझाने के लिए कानों का टेस्ट किया जाता था. खासकर बहरेपन या कम सुनाई देने की समस्या के लिए कान का टेस्ट आम बात है. लेकिन कम सुनाई देने के लिए कान का टेस्ट बहुत ज्यादा कारगर इसलिए नही हो पाता क्योंकि टेस्ट शुरूआती समस्या को पकड़ नहीं पाता था. लेकिन अब कम सुनाई देने या बहरेपन की पहचान के लिए कान की बजाय आंखों का टेस्ट ज्यादा प्रभावी हो सकता है. जी हां, आपको पढऩे में शायद अजीब लगे लेकिन जल्द ही ऐसा तरीका आ रहा है जिससे आंखों का टेस्ट करके बहरेपन की समस्या का पता लगाया जा सकेगा.
आंखों से कान की समस्या का पता चलेगा
शोधकर्ताओं ने इस नए तरीके के बारे में खास जानकारी दी है. उनके मुताबिक इस नए तरीके की बदौलत सुनने में किसी भी तरह की दिक्कत के लक्षणों को आंखों की मूवमेंट के जरिए पहचाना जा सकेगा. ये नया तरीका बहरेपन की शुरूआती स्टेज पता करने में काफी इफेक्टिव साबित होगा. यानी अगर ये अध्ययन सफल होता है तो आगे जाकर बहरेपन के शुरूआती लक्षणों को पहचानना काफी आसान हो जाएगा.
आंखों की मूवमेंट में कमी आने से चलेगा पता
इस अध्ययन में सभी प्रतिभागियों को एक स्पीच में बिठाया गया. जब ये स्पीच चल रही थी तो लोगों की आंखों पर फोकस किया गया. इस अध्ययन में कहा गया कि दरअसल जब किसी को सुनने में तकलीफ होती है तो वो अपनी आंखों पर ज्यादा फोकस करता है. यानी वो अपनी आंखों से अपने कानों का काम लेना चाहता है. इसका मतलब ये हुआ कि जिस किसी को कम सुनाई दे रहा है वो अपनी आंखों के जरिए उसे फोकस करके सुनने की कोशिश करता है. इस स्टडी में कुछ लोगों को एक स्पीच सुनवाई गई. इस दौरान उनको सामने स्क्रीन पर लगे एक प्वाइंट पर फोकस करने के लिए कहा गया. चलती स्पीच के बीच में उन लोगों की आंखों की मूवमेंट में कमी देखी गई जिनको सुनने में दिक्कत आ रही थी. आंखों की मूवमेंट कम होने का मतलब निकाला गया कि वो लोग ज्यादा फोकस होकर और ज्यादा केंद्रित होकर सुनने की कोशिश कर रहे हैं.