देहरादून। रीच संस्था ने अपने सालाना भारतीय संगीत के महोत्सव विरासत के शेड्यूल की घोषणा कर दी है। कई सालों के बाद उत्तराखंड के लोकनाट्य चक्रव्यूह की विरासत में वापसी हुई है। वहीं भारतीय शास्त्रीय संगीत के उभरते हुए नई पीढ़ी के दिग्गज भी विरासत के मंच पर नजर आएंगे। ग़ज़ल गायिका राधिक चोपड़ा, बडाली, नियाजी ब्रदर्स के साथ तीन बार के ग्रैमी अवार्ड विजेता जर्मनी के रिके केज भी इस बार विरासत में प्रस्तुति दे रहे हैं। 27 अक्तूबर से दस नवंबर तक दून के ओएनजीसी कौलागढ़ स्थित डॉ.बीआर अम्बेडकर स्टेडियम में भव्य सांस्कृतिक विरासत का आग़ाज होगा।
इस बार के विरासत में राकेश चौरसिया का बांसुरी वादन, ओमकार दादरकर, संजय अभयंकर, कौशुकी चक्रवर्ती, सुहाना शर्मा, पंडित राजन और स्वरांश मिश्रा, शवानी शिंदे, आरती अनकालीकर, का शास्त्रीय गायन, पंजाबी लोक व सूफी गायक जसबीर जस्सी की प्रस्तुतियां होगी। इसके साथ ही रशिया का मॉडर्न डांस राकेता, दक्षिण अफ्रीका का डांस थिएटर त्रिभांगी भी आकर्षण का केन्द्र होगा। तीन बार के ग्रैमी अवार्ड विजेता रिकी केज का अर्थ कंसर्ट दस नवंबर को होगा। रीच संस्था के लोकेश ओहरी ने बताया कि रिकी केज की दिली ख्वाहिश उत्तराखंड में कहीं कंसर्ट करने की थी। इसके अलावा विरासत को नया स्वरुप देने के लिए कई सारे अन्य आकर्षण जोड़े गए हैं।
चक्रव्यूह होगा आकर्षण का केन्द्र: उत्तराखंड के चमोली के ग्रामीण अंचल में बेहद लोकप्रिय चक्रव्यूह का मंचन इस बार विरासत में होगा। चक्रव्यूह महाभारत में कौरव व पांडवों के बीच युद्ध की एक महत्वपूर्ण घटना पर आधारित प्रसंग है। 2003 में पहली बार चक्रव्यूह का मंचन विरासत में पहली बार किया गया था। तब रीच संस्था ने डॉ.डीआर पुरोहित के निर्देशन में इस लोकनाट्य के लिए एक वर्कशाप का भी आयोजन किया था। कई सालों बाद चक्रव्यूह की विरासत में वापसी हो रही है।