नई टिहरी। सहकारिता विभाग से ऋण लेने के बाद मृतक किसानों के परिजनों के लिए डीसीबी टिहरी वन टाइम सेटमेंटर(ओटीएस) स्कीम लागू की है। स्कीम के तहत केवल मूलधन की जमा करना होगा। ब्याज का भुगतान बैंक और समिति वहन करेंगी। मूलधन जमा करने के बाद ऐसे काश्तकार सहकारिता के चुनाव और बैंक की योजनाओं का लाभ ले सकेंगे।
जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष सुभाष चंद रमोला ने पत्रकारों को जानकारी देते हुये बताया कि जिले में बीते वर्षों में 3405 ऐसे काश्तकार हैं, जिन्होंने बैंक और समितियों के माध्यम से ऋण लिया, लेकिन उनकी मृत्यु होने से उन पर बैंक का 5.21 करोड़ का मूल ऋण के साथ 3.19 करोड़ की ब्याज का बकाया है। सरकार ने ऐसे लोगों के परिजनों के लिए ओटीएस स्कीम लागू की है। 388 मृतकों के परिजनों ने ओटीएस स्कीम में आवेदन किया है। बताया ब्याज का 60 प्रतिशत समिति और 40 बैंक अपने संसाधनों से वहन करेगा।
वार्ता में अध्यक्ष ने बीते पांच साल का लेखा जोखा भी रखा, बताया कि 2018 में बैंक की डिपॉजिट 758 करोड़ थी, जो बढ़कर 1100 करोड़ हो गई है। बैंक ने पांच साल में 591 करोड़ रुपये का ऋण बांटा। पांच साल के भीतर बैंक को नौ करोड़ का शुद्ध लाभ हुआ है। एनपीए वसूली में डीसीबी टिहरी ने प्रदेश में पहला स्थान प्राप्त किया। पूर्व के एनपीए को 12 प्रतिशत से घटाकर छह प्रतिशत पर लाया है। टिहरी में एसबीआई के बाद डीसीबी सर्वाधिक लाभ कमाने वाला बैंक बना है। बैंक ने राज्य और केंद्र सरकार की योजनाओं के तहत करीब 16 करोड़ का ऋण बांटा है।
मौके पर बैंक महाप्रबंधक संजय रावत, उपाध्यक्ष विनोद रावत, निदेशक नरेश नेगी, जयप्रकाश चंद, सतपाल कलूड़ा, टीकाराम, गोविंद सिंह, डीजीएम बलवीर पुंडीर, नारायणी सिंह, संजीव कुमार, यशवंत भंडारी आदि उपस्थित थे।