ऋषिकेश। उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानी ऋषिकेश संगठन से जुड़े राज्य आंदोलनकारियों ने सरकार की ओर से जारी नए आरक्षण नियमावली का विरोध किया है। उनका कहना है कि नौकरशाहों द्वारा निजी लाभ के लिए सरकार को भ्रमित किया जा रहा है।
रविवार को स्व. इंद्रमणि बडोनी हाल में हुई बैठक में उत्तराखंड राज्य निर्माण सेनानियों ने राज्य सरकार द्वारा उत्तराखंड आंदोलनकारियों के आश्रितों के लिए जारी नियमावली पर चर्चा की। वक्ताओं ने कहा कि इस नियम के मुताबिक सरकार केवल आंदोलन में घायल या जेल जाने वालों के आश्रितों के लिए ही नौकरी में 10 प्रतिशत आरक्षण देने की बात कह रही है। यह पूरी तरह से गलत और पक्षपातपूर्ण व्यवहार है। जबकि ऐसे बहुत से लोग थे, जो आंदोलन में न तो घायल हुए ना ही जेल गए, तो क्या वे आंदोलनकारी नहीं थे।
डीएस गोसाईं ने कहा कि ऐसे लोगों की पहचान अखबारों और एलआईयू की रिपोर्ट के माध्यम से की गई और वर्ष 2004-05 में चिन्हिकरण से लाभ भी प्राप्त हुआ। लेकिन आज सरकार द्वारा उनके आश्रितों के साथ नए नियम को लागू कर पक्षपात करने का काम किया जा रहा है। कहा कि यह काम नौकरशहों का है जो सरकार की छवि को भी धूमिल कर रहे हैं। सरकार को चाहिए कि पूर्व की भांति जीओ नंबर 1270 को ही लागू किया जाए।
बैठक में गंभीर सिंह मेवाड़, बलवीर सिंह नेगी, गुलाब सिंह रावत, युद्धवीर सिंह चौहान, विशंभर दत्त डोभाल, बेताल सिंह धनी, महादेव रंगन, राजेंद्र कोठारी, हरि सिंह नेगी, जगदंबा भट्ट, बृजेश दुभाल, धर्म सिंह रावत, मुन्नी, लक्ष्मी बूढ़ाकोटी, प्रेम नेगी, अंजू गैरोला, अंजू धस्माना, रेखा उनियाल, सुशीला पोखरियाल, सुशील राणा आदि रहे।