देहरादून। ट्रेनिंग वर्कशॉप ऑन रोल ऑफ कम्युनिकेशन फॉर स्पेशल एजुकेटर्सस्पेक्स देहरादून व उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय द्वारा के संयुक्त तत्वाधान से ट्रेनिंग वर्कशॉप ऑन रोल ऑफ कम्युनिकेशन फॉर स्पेशल एजुकेटर्स का आयोजन उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय के सभागार किया गया। इस ट्रेनिंग वर्कशॉप की शुरुआत स्पेक्स के अध्यक्ष डॉ बृज मोहन शर्मा ने सभी संदर्भ दाताओं का स्वागत कर व उनको प्रतीक चिन्ह देकर किया। आपने संबोधन में डॉ बृज मोहन शर्मा ने बताया की इस कार्यशाला का उद्देश्य स्पेशल एजुकेटर्स में संप्रेषण करने की विधा को विकसित करना व संभावित टारगेट ग्रुप को उनकी मूल आवश्यकता को समझकर उपयुक्त वातावरण उपलब्ध करवाना है। जिससे दिव्यांग बच्चों का समुचित विकास करके उनको मुख्य धारा से जोडना है। ग्रासरूट अवेयरनेस एंड टेक्निकल इंस्टीट्यूट ऑफ सोसायटी, स्मार्ट सर्किट प्राइवेट लिमिटेड, स्पीकिंग क्यूब आदि का सहयोग रहा। उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय के डॉ सिद्धार्थ पोखरियाल ने अपने वक्तव्य में सभी बी एड स्पेशल एजुकेटर्स को उक्त कार्यशाला में सम्मिलित होने के लिए सराहा व आशा व्यक्त की कि इस कार्यशाला से सभी को बहुत कुछ सीखने व समझने को मिलेगा। हम सभी इस कार्यशाला से संप्रेषण की कला को ठीक प्रकार से समझ सकेंगे।
कार्यशाला के प्रथम सत्र में संदर्भ दाता डॉ हेमलता तिवारी द्वारा सभी प्रतिभागियों से संप्रेषण के विभिन्न तरीकों के विषय में बात की। संप्रेषण बोलकर,देखकर,पढ़कर, लिखकर,हावभाव से किया जा सकता है। एक सही संप्रेषण कर्ता के लिए सही तरीके से अपनी बात को रखा जाता है। उनके द्वारा बहुत से उदाहरणों के माध्यम से अपने विषय को तर्क संगत तरीके से बताया गया।क्लीनिकल साइक्लोजिष्ट रंजीता मुखर्जी द्वारा स्पेशल एजुकेटर्स को दिव्यांग बच्चों के मनोभावों को समझने की मनोवैज्ञानिक तरीके से संबंधित जानकारी से अवगत करवाया गया। कई प्रकार की गतिविधियां के माध्यम से जानकारी प्रेषित की है। उनके द्वारा प्रतिभागियों के कई प्रश्नों के उत्तर दिए गए।
भारत सरकार के संगीत एवं नाट्य विभाग के योगेश सोमी भट्ट द्वारा संप्रेषण कला में अभिनय व हावभाव की विधा को विकसित करने हेतु बहुत ही साधारण व महत्वूर्ण टिप्स प्रतिभागियों को दिए गए। श्री भट्ट द्वारा बिना बोले इसारों से व ध्वनि के माध्यम से किस प्रकार अपनी बात सही तरीके से सामने वाले को प्रेषित की जा सकती है पर गतिविधि आधारित प्रस्तुति में सभी को सम्मिलित किया गया।
अभिषेक मंदौला ने नाट्य विधा के माध्यम से उपयुक्त संप्रेषण के गुण सभी को बताए गए। उनके द्वारा छोटे छोटे संवादों से प्रतिभागियों का मनोरंजन के साथ जुड़ने का प्रयास किया गया। उन्होंने हावभाव से संप्रेषण को प्रभावी बनाने के लिए उदाहरणों के माध्यम से प्रतिभागियों का समझाया।
नीतिका द्वारा अंग्रेजी भाषा में संवाद कला की बारीकियों पर अपनी बात रखी गई। उनके द्वारा शब्दों के माध्यम से संप्रेषण को प्रभावी बनाने वाली मुख्य तकनीकों पर प्रकाश डाला गया।
स्मार्ट सर्किट प्राइवेट लिमिटेड के सौरभ कौशल व राघव शर्मा द्वारा विज्ञान आधारित लॉ कोस्ट ट्वॉयज को संचार का उपयुक्त माध्यम बनाने पर जोर दिया गया। उनके द्वारा बनाए गए किट के उपकरणों द्वारा बहुत ही सरल तरीके से प्रतिभागियों ने विज्ञान संप्रेषण की कला को समझा व इसे अपने विषय से जोड़ने का प्रयास किया। इन गतिविधियों को करते हुए दिव्यांग बच्चों से संवाद स्थापित करने की कला को और अधिक प्रभावी बनाया जा सकता है। इन गतिविधियों से स्पर्श,एकाग्रता,हाथ व आंख के सामंजस्य को बढ़ाया जा सकता है से कार्यशाला के अंत में डॉ दिनेश कुमार चैधरी ने कार्यशाला के सफल आयोजन हेतु सभी का आभार व्यक्त किया व आशा जताई कि भविष्य में भी इस तरह की कार्यशालाएं आयोजित की जाती रहेंगी व उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय अपना सहयोग करता रहेगा। न्यूज 18 के मुख्य संपादक अनुपम त्रिवेदी द्वारा अपने संबोधन में स्पेक्स व इस कार्यशाला से जुड़ी अन्य संस्थाओं को इस विशिष्ट कार्यशाला के आयोजन व इसके सकारात्मक परिणाम के लिए सराहा गया। उनके द्वारा बताया गया कि हम सभी किसी ना किसी रूप से संप्रेषण करते ही हैं। उसका माध्यम अलग अलग हो सकता है पर मकसद सही तरीके से सामने वाले को अपनी बात समझना ही होता है। उनके द्वारा इस कार्यशाला में सम्मिलित सभी प्रतिभागी स्पेशल एजुकेटर्स को प्रमाण पत्र वितरित किए गए। कार्यशाला का संचालन नीरज उनियाल द्वारा किया गया। इस कार्यशाला में राम तीरथ मौर्य,अशोक कुमार,श्रुति व्यास, मंगेश कुमार आदि ने अपना सहयोग दिया। यह कार्यशाला ऑफ लाइन व ऑन लाइन दोनों ही माध्यम से आयोजित की गई।