चंडीगढ़। संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले संघर्ष कर रहे किसानों ने अपना धरना खत्म कर दिया है। 19 तारीख को किसानों की मुख्यमंत्री के साथ पैनल मीटिंग होगी। इसमें विभाग के सारे अधिकारी मौजूद रहेंगे। मौके पर ही किसानों की मांगों को सुना जाएगा और उनको हल करने के लिए कार्रवाई की जाएगी। सीएम भगवंत मान पहले ही साफ कर चुके हैं कि किसानों से किसी प्रकार का धोखा नहीं होने दिया जाएगा।
मोहाली, चंडीगढ़ और पंचकूला में संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले संघर्ष कर रहे किसानों ने अपना धरना खत्म कर दिया है। इससे पहले यूनियन के नेताओं ने पंजाब के कृषि मंत्री गुरप्रीत सिंह खुंडिया से मुलाकात की। इस बैठक में तय किया गया है कि किसान चार दिसंबर को एक मेमोरेंडम सरकार को सौंपेंगे। जिसमें उन सभी मांगों का जिक्र होगा जो वह सरकार से पूरी करवाना चाहते हैं।
19 तारीख को किसानों की मुख्यमंत्री के साथ पैनल मीटिंग होगी। इसमें विभाग के सारे अधिकारी मौजूद रहेंगे। मौके पर ही किसानों की मांगों को सुना जाएगा और उनको हल करने के लिए कार्रवाई की जाएगी। सीएम भगवंत मान पहले ही साफ कर चुके हैं कि किसानों से किसी प्रकार का धोखा नहीं होने दिया जाएगा। इसके बाद किसान राजभवन गए और राज्यपाल से मुलाकात की। बैठक के बाद धरना खत्म करने को लेकर एलान किया गया।
वहीं पंचकूला में सेक्टर पांच ग्राउंड में धरने पर बैठे किसानों का 21 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल हरियाणा के राज्यपाल से मिला और उन्हें ज्ञापन सौंपा। इसके बाद किसान नेता रतन मान ने कहा कि किसान 11 दिसंबर तक सरकार के रुख का इंतजार करेंगे। उसके बाद आगे की रणनीति तैयार की जाएगी। पंचकूला में करीब एक हजार किसान बैठे थे। मान ने कहा कि राज्यपाल ने बहुत अच्छा समय दिया। सभी मुद्दों पर बड़ी-बड़ी बातचीत हुई। इसके बाद तीन दिन से पंचकूला में चल रहा किसानों का धरना खत्म हो गया है।
राज्यपाल ने आश्वासन दिया है कि सरकार के पास ज्ञापन भेज कर मांगें पूरी करवाने का काम करेंगे। राज्यपाल को सौंपे गए ज्ञापन में न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी कानून, लखीमपुर खीरी मामले में इंसाफ, गिरफ्तार किसानों की रिहाई, पराली और बिजली बिल के साथ ही कर्ज माफी पर भी बात हुई।
मान ने कहा कि 11 दिसंबर को हिसार में बैठक कर अगली रणनीति तैयार करेंगे। किसान नेता सुरेश कोथ ने कहा कि हम मोदी सरकार को चुनौती देते हैं कि हमारी मांगें जल्द पूरी की जाएं वरना एक बड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा। किसान इस देश का मालिक है और आगे भी लड़ने को तैयार है। पिछले करीब दो साल के दौरान किसान संगठन 15 ज्ञापन केंद्र सरकार को दे चुके हैं लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई। यदि अब भी बात नहीं सुनी तो बड़ा आंदोलन शुरू किया जाएगा।