देहरादून। गढ़भोज दिवस पर शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड के परंपरागत अनाजों को बढ़ावा देना जरूरी है। युवा पीढ़ी को भी अपनी संस्कृतिक और परंपराओं का ज्ञान होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि राज्य के सभी राजकीय विद्यालयों में पंरपरागत अनाज पर राज्य स्तरीय निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। इसमें बेहतर प्रदर्शन करने वाले जिला और प्रदेश स्तर पर पुरस्कृत किया जाएगा।यह बात काबीना मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने राजीव गांधी नवोदय विद्यालय ननूरखेड़ा में आयोजित कार्यक्रम में कही।
हिमालयन पर्यावरण जड़ी-बूटी एग्रो संस्थान ‘जाड़ी तत्व फाउंडेशन, आगाज फेडरेशन और पर्वतीय विकास शोध केंद्र की ओर से आयोजित कार्यक्रम में मंत्री ने कहा कि भारत सरकार ने देश में मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिये केंद्रीय बजट में वित्तीय प्रावधान किए हैं। इसमें अन्न योजना शुरू की है, ताकि देशभर में परम्परागत मोटे अनाजों (मिलेट्स) के उत्पादन को बढ़ावा देकर किसानों की आय को दोगुना किया जा सके। यही नहीं पीएम मोदी के प्रस्ताव पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने वर्ष 2023 को अंतर्राष्ट्रीय मिलेट्स ईयर घोषित किया है। जिसके तहत पूरी दुनियां में मोटे अनाजों को बढ़ावा देने के लिये विभिन्न स्तरों पर कार्य किये जा रहे हैं। राज्य में भी सहकारिता विभाग के माध्यम से मोटे अनाजों मंडुवा, झंगोरा, चौलाई आदि की खरीद सीधे किसानों से की जा रही है, जिससे किसानों को अच्छी खासी आमदानी हो रही है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने प्रदेश के विद्यालयों में दिये जा रहे मिड-डे मीड में भी मोटे अनाजों को शामिल किया है, जिससे छात्र- छात्राओं को पौष्टिक आहार मिल रहा है। गढ़भोज अभियान के प्रणेता द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने इस अभियान की शुरुआत वर्ष 2000 से की गई। गढ़ भोज से बढ़ावा मिलने से जहां पलायन रुकेगा, वहीं किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी। कहा कि गढ़भोज पौष्टिकता के साथ ही औषधीय गुणों से भी परिपूर्ण है। कहा कि पर्यटन और तीर्थाटन के बाद गढ़ भोज के रूप में मोटे अनाज हमारी आर्थिकी का बड़ा हिस्सा बन रहा है।
इस मौके पर संस्था के अध्यक्ष डॉ. अरविंद दरमोड़ा, तत्व संस्था की सचिव आकांक्षा जायसवाल, गिरधारी बोरा, प्रो. जेपी पचौरी, प्रो. एमएसएम रावत, प्रो. केडी पुरोहित, डॉ. ममता, डॉ. विनोद कुमार, डॉ. यतीश वरिष्ठ, सुभाष रमोला, एपीडी समग्र शिक्षा मुकुल सती, नवोदय विद्यालय की प्रधानाचार्या सुनीता भट्ट सहित अभियान से जुड़े विभिन्न संस्थाओं के सदस्य और विद्यालय के छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
गढ़भोज सम्मान 2023 से नवाजा: गढ़भोज कार्यक्रम में आयोजकों ने शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत को उनके जन्मदिवस पर शॉल, स्मृति चिन्ह और बुके देकर सम्मानित किया गया। इसके साथ ही डॉ रावत की ओर से पहाड़ी अनाजों एवं व्यंजनों पर आधारित पुस्तक लिखने के लिये प्रदेश की तीन शिक्षिकाओं हरिद्वार से डॉ. नीतू गुप्ता, डॉ. श्वेता और रानीखेत अल्मोड़ा से डॉ. नमिता बिष्ट को शॉल एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर गढ़ भोज सम्मान-2023 से सम्मानित किया गया। जबकि नशा मुक्ति केन्द्र में गढ़भोज को प्रोत्साहन देने के लिये देहरादून के उदय प्रताप सिंह को भी सम्मानित किया गया।
मंत्री ने बच्चों को परोसा गढ़भोज: राजीव गांधी नवोदय विद्यालय में अतिथियों एवं विद्यालय के छात्र-छात्राओं को मोटे अनाजों से तैयार विभिन्न व्यंजन परोसे गये। जिसका सभी ने भरपूर लुत्फ उठाया। मिलेट्स से तैयार व्यंजनों में प्रमुख रूप से स्थानीय चावलों से तैयार लाल भात, कोदे की पुरी, झंगोरे की खीर, भट की भटवाणी, चुटकाणी, चैंसु, हर्षिल की राजमा, पहाडी ककड़ी का रायता शामिल थे। इस दौरान काबीना मंत्री ने बच्चों को गढ़भोज भी परोसा।
स्कूलों में बच्चों को झंगोरे की खीर परोसी
देहरादून। अक्षय पात्र फाउंडेशन की ओर से गढ़ भोज दिवस को 239 विद्यालयों में 25670 छात्र-छात्राओं को मध्याह्न भोजन के साथ झंगोरे की खीर तथा चौलाई के लड्डू परोसकर मनाया गया। फाउंडेशन की स्कूल रिलेशनशिप मैनेजर प्रीति राणा ने बताया कि राज्य सरकार की ओर से सात अक्टूबर को गढ़ भोज दिवस को एक उत्सव के रूप में मनाने के निर्देश दिए गए थे। उत्तराखंड राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ विकास नगर की कोषाध्यक्ष एवं प्राथमिक विद्यालय बैरागीवाला में कार्यरत सहायक अध्यापिका मधु पटवाल ने बताया कि अक्षय पात्र फाउंडेशन की ओर से उपलब्ध कराए गए भोजन में झंगोरे की खीर तथा चौलाई के लड्डू भी शामिल थे। विकासखण्ड रायपुर में स्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय रामगढ़ के प्रधानाध्यापक अरविन्द सोलंकी ने बताया कि गढ़ भोज दिवस के अवसर पर आज भोजन परोसने से पहले छात्र-छात्राओं को उत्तराखंड के पारंपरिक फसलों एवं उनसे बनने वाले खाद्य पदार्थों की जानकारी दी गई। उन्होंने कहा कि पहाड़ों में पैदा होने वाले अनाजों झंगोरा, मंडुवा, कोदो, लाल चावल, भट्ट, गहत, सोयाबीन, राजमा, उड़द इत्यादि में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाये जाते हैं और हमें इन्हें अपने भोजन में नियमित रूप से शामिल करना चाहिए।