देहरादून। फर्जी जाति प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने के आरोप में महिला बाल विकास विभाग ने यूएसनगर के जसपुर में तैनात बाल विकास परियोजना अधिकारी (सीडीपीओ) लक्ष्मी टम्टा की सेवाएं समाप्त कर दी हैं। विभाग उनके खिलाफ कानूनी कारवाई भी करने जा रहा है।
सचिव महिला सशक्तिकरण बाल विकास विभाग हरिचंद्र सेमवाल की ओर से शनिवार को जारी आदेश के अनुसार, सीडीपीओ लक्ष्मी टम्टा का जन्म अनारक्षित परिवार में हुआ था। विवाह से पहले शैक्षिक प्रमाणपत्रों में उनका नाम लक्ष्मी पंत दर्ज है। 1982 में उन्होंने अल्मोड़ा निवासी मुकेश लाल टम्टा से शादी कर ली। इसके बाद स्नातक स्तरीय शैक्षिक प्रमाणपत्रों में उनका नाम लक्ष्मी टम्टा लिखा गया है। इसी आधार पर उन्होंने अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र हासिल करते हुए, 1988 में विभाग में मुख्य सेविका के पद पर नौकरी हासिल की। वर्ष 2003 में इसी प्रमाणपत्र के आधार पर पदोन्नति में आरक्षण का लाभ लेते हुए, बाल विकास परियोजना अधिकारी के पद पर पदोन्नति हासिल की। जबकि 1984 में जारी आदेशों के अनुसार सामान्य जाति में जन्मी महिला यदि, किसी अनारक्षित जाति के व्यक्ति से विवाह करती हैं तो भी उन्हें आरक्षण का लाभ नहीं मिल पाता है।
आदेश में कहा गया है कि शिकायत के बाद जिलाधिकारी अल्मोड़ा के द्वारा जांच के बाद उनका जाति प्रमाणपत्र खारिज किया जा चुका है। विभाग ने उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका दिया, जिसमें लक्ष्मी टम्टा ने आरोपों को खारिज कर दिया। विभाग ने अब जांच रिपोर्ट के आधार पर उनकी सेवा समाप्त कर दी है। साथ ही धोखाधड़ी से जाति प्रमाणपत्र हासिल करने पर अलग से कानूनी कारवाई करने का निर्णय लिया है।