देहरादून। नकली नोट छापने वाले गिरोह का भण्डाफोड़ करते हुए पुलिस ने 6 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। जिनके कब्जे से 2 लाख 25 हजार 500 रूपये के नकली नोट सहित अन्य सामान भी बरामद किये गये है। आरोपी राजधानी देहरादून में किराये के मकान में रहकर जाली नोट का कारोबार कर रहे थे। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रमेन्द्र डोबाल ने बताया कि बीते रोज कोतवाली रानीपुर पुलिस ने एक सूचना के बाद चौकिंग के दौरान सुमन नगर पुलिया पर दो बाइक सवार चार संदिग्धों को रोक कर उनके पास से 500 रूपये के 44 नोट कुल 22 हजार रूपये के नकली नोट बरामद किये गये थे। जिन्होने पूछताछ में बताया कि उन्होंने अपने अन्य साथी मोहित और विशाल के साथ सुद्धोवाला प्रेमनगर देहरादून में किराए के कमरे पर लैपटॉप व प्रिन्टर की मदद से नकली नोट बनाने का काम किया जाता है। जिस पर कोतवाली रानीपुर पुलिस की एक टीम द्वारा सुद्धोवाला प्रेमनगर से आरोपी मोहित पुत्र राजेन्द्र को दबोच कर उसके कब्जे से 500 रुपये के 200 नकली नोट कुल 1 लाख रूपये व उसके किराए के कमरे से एक लैपटॉप, प्रिंटर, 2 ब्लेड़ कटर, 2 चमकीली ग्रीन टेप, व नोट छापने के सामान के साथ तथा दूसरी पुलिस टीम ने दून एनक्लेव पटेल नगर देहरादून से आरोपी विशाल पुत्र राजेश को 500 के 207 नकली नोट कुल 1 लाख 3 हजार 500 रूपये, एक लैपटॉप, एक प्रिन्टर व नकली नोट बनाने का सामान बरामद हुआ। पुलिस के अनुसार आरोपी सुनियोजित तरीके से लेपटॉप में स्केन कर रखे हुए 500 रुपये के असली नोट से जाली नोट तैयार करते थे तथा इन नकली नोटो को अपने साथियो कें माध्यम से देहरादून व हरिद्वार के बाजारों में चलाते थे। ये लोग ज्यादातर भीडभाड़ वाले दुकानों या बुजुर्ग दुकानदारों के पास छोटी-मोटी खरीदारी करने के लिये जाली नोटों को चलाते थे तथा दुकानदार से शेष असली नोट प्राप्त कर लेते थे।
पुलिस के अनुसार मोहित व निखिल कुमार पूर्व में भी नकली नोट छापने में व बाजार में चलाने के मामले में हिमाचल प्रदेश के थाना नाहन से जेल जा चुके है व मोहित पूर्व में दुष्कर्म के मामले में भी थाना विकासनगर जनपद देहरादून से भी जेल जा चुका है व आरोपी सोरभ पूर्व में थाना पटेलनगर देहरादून से बेग छीनने के मामले में जेल जा चुका है। सौरभ पुत्र जसबीर मूल रूप से गांधी कालोनी थाना देवबंद जिला सहारनपुर उ.प्र. का निवासी है जिसने पाँचवी तक पढ़ाई की है व अविवाहित है। आरोपी विशाल व नीरज सगे भाई है जो सौरभ के दोस्त हैं व एक ही गांव के हैं। दोनो भाई चंद्रबनी देहरादून में किराए का कमरा लेकर प्रिंटर व लैपटॉप के माध्यम से जाली नोट बनाने का काम करते थे।