निःसंतान दम्पतियों के लिये मददगार साबित हो रही एआरटी तकनीक

देहरादून। सूबे में बच्चे की चाहत रखने वाले दम्पत्तियों, एकल व अविवाहित महिलाओं के लिये सहायता प्राप्त जननीय प्रौद्योगिकी (एआरटी) फायदेमंद साबित हो रही है। प्रदेश में अब तक एआरटी अधिनियम-2021 व 2022 तथा सरोगेसी एक्ट-2021व 2022 के तहत 10823 दम्पतियों ने गर्भधारण से संबंधित उपचार का लाभ उठाया है। एआरटी तकनीकी सेवाएं प्रदेशभर के 37 चिकित्सालयों में मुहैया कराई जा रही है, जहां पर निःसंतान दंपति इस तकनीकी के माध्यम से गर्भधारण संबंधी उपचार ले रहे हैं।

सूबे में एआरटी अधिनियम-2021 व 2022 तथा सरोगेसी एक्ट-2021व 2022 के ठोस क्रियान्वयन से निःसंतान दम्पतियों को भविष्य का आसरा मिला है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की कड़ी निगरानी एवं प्रचार-प्रसार के चलते विगत तीन वर्षों में प्रदेशभर के कुल 10823 परिवारों ने जननीय प्रौद्योगिकी तकनीक (एआरटी) सेवा का लाभ उठा कर गर्भधारण संबंधी उपचार लिया है। वर्ष 2022 में एआरटी का लाभ उठाने वाले दम्पतियों की संख्या 3492 थी, वर्ष 2023 में 4198 तथा वर्तमान वर्ष में अब तक 3133 दम्पतियों ने एआरटी का लाभ लिया है। विगत तीन वर्षों में एआरटी तकनीकी का सर्वाधिक लाभ 3620 दम्पतियों ने इंदिरा आईवीएफ में लिया। इसके अलावा नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी में 1014, केयर आईवीएफ यूनिट 735, आशीर्वाद हेल्थकेयर एवं फर्टिलिटी सेंटर 626, श्री महंत इंद्रेश हॉस्पिटल आईवीएफ सेंटर 603, फुटेला फर्टिलिटी सेंटर 513, जेनेसिस आईवीएफ 459, एम्स ऋषिकेश 399, सुभारती हॉस्पिटल एंड आईवीएफ सेंटर 341, वृंदा फेमिकेयर फर्टिलिटी एलएलपी 318, द मेडिसिटी 310, उत्तरांचल टेस्ट ट्यूब बेबी सेंटर 300 तथा निदान फर्टिलिटी क्लीनिक में 183 दम्पतियों ने एआरटी का लाभ लिया है। इसके साथ 1402 दम्पतियों ने प्रदेश के अन्य चिकित्सालयों में एआरटी तकनीक सेवाओं से गर्भधारण से संबंधित उपचार लिया।

वर्ष 2021 में देश के साथ-साथ प्रदेश में एआरटी व सरोगेसी एक्ट लागू होने के उपरांत प्रदेश में एआरटी अधिनियम-2021 व 2022 तथा सरोगेसी एक्ट-2021व 2022 के तहत 37 चिकित्सालयों का पंजीकरण हुआ है। जिसमें लेवल-01 स्तर के 4 एआरटी क्लीनिक, लेवल-02 स्तर के 22 एआरटी क्लीनिक, 10 एआरटी बैंक तथा 01 सरोगेसी क्लिनिक शामिल हैं। स्वास्थ्य विभाग द्वारा समय-समय पर इन चिकित्सालयों का निरीक्षण किया जाता है ताकि एआरटी व सरोगेसी एक्ट का किसी प्रकार से उलंघन न हो और अवैध तरीके से सरोगेसी न हो पाये।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *