देहरादून। उत्तराखंड के सहकारिता सचिव व राज्य सहकारी बैंक के प्रशासक दिलीप जावलकर ने राज्य के भीतर सहकारी बैंकिंग क्षेत्र को मजबूत करने के उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। उन्होंने सहकारिता अधिकारियों व सहकारी बैंक के प्रबंध निदेशक (एमडी) को सीमा निर्धारण और ऋण विस्तार पर ध्यान केंद्रित करते हुए ऋण शिविर आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। यह पहल पूरे उत्तराखंड में स्थानीय लोगों के आर्थिक सशक्तिकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए तैयार है, जहाँ सहकारी बैंक वर्तमान में लगभग 330 से अधिक शाखाएँ और 670 बहुउद्देशीय कृषि समितियाँ (एमपैएक्स) संचालित करते हैं।
राज्य में किसानों की आजीविका को बढ़ावा देने के प्रयास में आज बुधवार को सहकारिता सचिव श्री जावलकर ने सहकारी अधिकारियों को एक महत्वपूर्ण निर्देश दिए हैं कि प्रत्येक ब्लॉक में सहकारी बैंक और सहकारी समिति द्वारा ऋण शिविर आयोजित किये जायें। उन्होंने बताया कि इस पहल का उद्देश्य किसानों के लिए वित्तीय संसाधनों तक आसान पहुँच को सुगम बनाना है, जिससे वे अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ा सकें और अंततः अपनी आय को दोगुना करने की दिशा में काम कर सकें।
सचिव श्री जवालकर ने कहा कि किसानों के सामने आने वाली वित्तीय बाधाओं को पहचानना है। कई किसान सख्त आवश्यकताओं और वित्तीय साक्षरता की कमी के कारण पारंपरिक बैंकिंग संस्थानों से ऋण प्राप्त करने के लिए संघर्ष करते हैं। स्थानीय ब्लॉकों में विशेष रूप से ऋण शिविरों का आयोजन करके, सहकारी क्षेत्र वित्तीय सेवाओं को सीधे किसान तक पहुँचाने का एक ठोस प्रयास कर रहा है। यह न केवल उधार लेने की प्रक्रिया को सरल बनाता है बल्कि किसानों को उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप विभिन्न वित्तीय उत्पादों के बारे में शिक्षित भी करता है।
गौरतलब है कि, किसानों को सशक्त बनाने और उनकी आर्थिक स्थिरता को बढ़ाने के लिए ऋण शिविरों का आयोजन एक जरूरी आवश्यकता है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय योजना, बचत केंद्र, बिक्री और खरीद योजना और उपभोक्ता योजना जैसी विभिन्न सहायक योजनाओं के साथ, ये शिविर एक व्यापक सहायता प्रणाली को बढ़ावा देते हैं। वित्तीय संसाधनों और आवश्यक वस्तुओं तक पहुँच में सुधार करके, संगठित ऋण शिविर कृषि विकास और ग्रामीणों की समग्र भलाई में महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं।