स्थायी राजधानी में बाधक बनने वाले कांग्रेसी नेताओं के नाम सार्वजनिक करे हरदाः चौहान

देहरादून। भाजपा ने पूर्व सीएम हरदा के स्थायी राजधानी गैरसैंण को लेकर दिए बयान पर पलटवार करते हुए चुनौती दी कि वे स्थाई राजधानी बनाने से रोकने वाले कांग्रेस नेताओं का नाम बताए अन्यथा गलतबयानी के लिए प्रदेश की जनता से माफी मांगे। हालांकि उनका इतिहास राज्य निर्माण विरोध से पटा पड़ा है, ऐसे में गैरसैंण को योग, ध्यान और सैमिनार आदि कार्यक्रमों का केंद्र बनाने को लेकर सीएम धामी की कोशिशें उन्हें दिखाई नही देने वाली हैं। प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चैहान ने कहा कि अगर, उनकी स्थाई राजधानी बनाने की तथाकथित कोशिशों में थोड़ी सी भी सच्चाई है तो उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि वह कौन से कांग्रेस नेता है जिन्होंने अपने मुख्यमंत्री को ऐसा करने से रोका? और वह कौन सी कमजोरी रही जिसके चलते तत्कालीन मुख्यमंत्री का गैरसैंण को लेकर प्यार काफूर हो गया था।

उन्होंने कहा कि पूर्व सीएम हरदा की असलियत से प्रदेश की जनता अच्छी तरह वाकिफ है । उन्होंने कहा कि राज्य निर्माण आंदोलन को पेचीदा बनाने मे लगे रहे हरदा फिर केंद्र शासित राज्य बनाने का शिगूफा भी छोड़ा। उन्होंने कहा कि अटल जी ने राज्य गठन कर जब राज्य के विकास  के लिए आर्थिक पैकेज दिया तो मनमोहन सरकार द्वारा उसे वापिस लेने पर अन्य कांग्रेस नेताओं की तरह हरीश रावत का मुंह तक नही खुला। बतौर मुख्यमंत्री कुछ भी विकास कार्य वहां नही कराए और अब गैरसैंण को लेकर घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं। उन्होंने कहा कि दरअसल कांग्रेस को सीएम धामी द्वारा वहां कराए जा रहे विकास कार्य एवं प्रस्तावित योजनाएं हजम नही हो रही हैं । सरकार गैरसैंण को योग, ध्यान, अध्यात्म के केंद्र के रूप में भी विकसित करने जा रही है।

सभी जानते हैं कि हमारी प्राथमिकता गैरसैंण का सर्वांगीण विकास है इसके लिए गैरसैंण भवन में सालभर विभिन्न प्रशिक्षण, वर्कशॉप, सेमिनार कार्यक्रम आयोजित किए जायेंगे। सीएम ने समन्वय हेतु सचिव स्तर के अधिकारी को यह जिम्मेदारी दी गई है ताकि ऐसे विभिन्न कार्यक्रमों से स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिले। उन्होंने कहा कि राज्य गठन के बाद पहली विधान सभा गठन से लेकर सभी कांग्रेसी सरकारों मे हरीश रावत एक मुख्यधारा मे कद्दावर नेता रहे और उन्होंने राज्य की कमान भी संभाली, लेकिन वह राज्य के सरोकारों को लेकर आवाज नही बन सके। महज गुटबाजी और अस्थिरता को बढ़ावा देते रहे। राज्य को उनके अनुभवों का लाभ नही मिल सका जो कि दुखद है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *